| मध्यकालीन कृषि ऋण (हलधर योजना-  केवल छोटे काश्तकारों के लिए)
 उद्वेश्यः-भूमि सुधार कार्यक्रम यथा समतलीकरण मेड, तारबंदी (फेंसिंग) दर्मी  कम्पोस्ट (पंचामृत) इत्यादी। पाईप लाईन, फलदार एवं औषधिय पौधा एवं रतनजोत (समाधान)  रोपण, उधान विकास, भू एवं जल संरक्षण एवं संवद्र्वन, पम्पसेट, सिंचाई के साधन  विकसित करना यथा स्प्रिंक्लर, बूंद-बूंद, सिंचाई योजना कच्चा/पक्का फार्म पाण्ड  का निर्माण, नया कुआँ गहरीकरण (केवल ग्रे व व्हाईट जाॅन में) के अतिरिक्त दुग्ध  व्यवसाय, मतस्य, मूर्गी पालन इत्यादि। अधिकतम ऋण सीमा रू 3.00 लाख। प्रति बीधा  2 फसली चिरस्थायी सिंचित भूमि रू 30,000/- एवं असिंचित भूमि पर रू 20,000/-ऋणावधि  5 वर्ष। पुर्नभुगतान विधि अद्र्ववार्षिक। देय तिथि नवम्बर व मई। ब्याज दर 12.50  प्रतिशत वार्षिक (सहकारी समिति के माध्यम से) आवेदन पत्र समिति से प्राप्त कर  समिति  में ही जमा कराना होगा। आवेदन पत्र के साथ कृषि  प्रयोजनार्थ वांछित दस्तावेज  संलग्न करने होंगे। 
 डेयरी विकासः- डेयरी उद्वमितां विकास योजना के तहत 10 पशुओं की  दुग्ध इकई स्थापना के लिये अधिकतम राशि रू 5.00 लाख। स्वयं का अंशदान 10  प्रतिशत। योजना में वर्मी कम्पोस्ट, बछडा, बछिया पालन व डेयरी पार्लर सम्मिलित  आवेदन पत्र सम्बन्धित शाखा से प्राप्त कर, डेयरी परियोजना की रिपेार्ट संलग्न  करनी होगी। स्वयं के पास हरा चारा बोए जाने के लिए प्र्याप्त कृषि भूमि होना  आवश्यक है। कोल्टरेट सिक्युरिटी नियमानुसार ।   |